Sunday, November 6, 2011

फिर क्यों चले गये... ?

बहुत प्यार करते थे न मुझे ,
फिर क्यों चले गये... ?
मुझमे मेरे होने का अहसास कराया था तुमने ,
फिर खुद को मुझमे समाहित कर,
क्यों चले गये?कहा चले गये?
तुम्हारे बिना मेरी दुनिया क्या होगी,
इसका फैसला किये बिना तुम क्यों चले गये?
सबकुछ तो व्ही है,बस तुम्हारी कमी खलती है ,
तुम्हारी ये राधा तुम्हे हर पल पूजा करती है.
कभी तो मिलोगे,कही तो मिलोगे,
एक बार छला मुझको ,पर अब न छलोगे.
कह दो एक बार की तुम मेरे लिए हो,
ये था तुम्हे एहसास ,इसलिए फिर से मिले हो.
अब जो मिले हो, तो ऐसे न जाने दूंगी,
वही पीड़ा,वही कसक खुद में समाने न दूंगी,
दूंगी तोहफा उसी अहसास का,
जो तुम बिन तिल-तिल कर जिया है मैंने,
रख के सीने पे तेरे शीश ,
मै खुद को मिट जाने दूंगी,
हा तेरे प्यार में मै खुद को सिमट जाने दूंगी.
-[25/12/2006] Nandini g